जीवन मे सफल होने के लिए अपनाए किरण बेदी के ये 5 टिप्स। Kiran Bedi success tips


अगर आप जीवन में सफल होना चाहते हैं, कैरियर की ऊंचाइयां छूना चाहते हैं तो देश की पहली महिला आईपीएस किरण बेदी के ये 5 फंडे अपनाइए, सक्सेस कदम चूमेगी।


पुडुचेरी की उपराज्यपाल डॉ. किरण बेदी डॉ. जीसी मिश्रा मेमोरियल एजुकेशन एवं चैरिटेबल ट्रस्ट और मानव मंगल स्मार्ट स्कूल की ओर से शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित किए गए पहले टीचर्स एक्सीलेंस अवार्ड समारोह में मुख्य मेहमान के रूप में पहुंची थीं। इस दौरान उन्होंने ट्राइसिटी के पंद्रह टीचरों को सम्मानित किया। इस मौके पर किरण बेदी ने कहा कि टीचरों का बच्चों के जीवन में अहम रोल होता है। वे देश के निर्माता होते हैं। उनकी टीचर मदद न करती तो शायद वे पीएचडी तक न कर पातीं।


यहां किरण बेदी ने कहा कि टीचरों को समझना चाहिए वे देश की बुनियाद बनाने वाले हैं। बुनियाद कैसी हो, यह चीज टीचर के हाथ में है। अगर बुनियाद में दरार है या कमजोर है तो यह नुकसान टीचर का ही है। टीचर के साथ ही मां बाप को नहीं भूलना चाहिए कि उनकी भूमिका भी अहम है। पैरेंट्स सोचते हैं कि उन्होंने मोटी फीस भर दी है। अब उनका काम आगे नहीं है। मां बाप को बच्चों को समय देना होगा। उन्हें बच्चों को पढ़ाना होगा। दोनों को मिलकर काम करना होगा। वहीं, स्कूलों को भी टीचरों का सम्मान करना चाहिए।


किरण बेदी ने कहा कि वे हर एक दिन को जीती हैं। वे हर एक दिन काम करती हैं। क्योंकि वे कभी भी एक भी दिन खराब नहीं करती। इसलिए उन्होंने कहा कि लड़कियों व महिलाओं को पहले अपनी सोच बदलनी चाहिए। उन्हें मैं करती की बजाय मैं करता हूं को दिमाग में बैठाना चाहिए। क्योंकि सपने किसी लिंग भेद से नहीं साकार होते हैं। वे कड़ी मेहनत, लगन और तपस्या से पूरे होते हैं। उन्होंने कहा कि पहले जमाने में महिलाएं अपने पति-परिवार पर निर्भर होती थीं, लेकिन वर्तमान समय में महिलाओं को इतनी मजबूत बनाना चाहिए कि वे हर काम को अपने दम पर साकार करें।


किरण बेदी ने बिंदास होकर अपने कालेज के दिनों की बात कही। उन्होंने कहा कि जब वे पंजाब यूनिवर्सिटी में पढ़ा करती थीं तो उनके सारे ब्यॉय फ्रेंड उस समय टेंशन में आ गए थे , जब वे आईपीएस की तैयारी करने लगी। वे कहते थे कि ये लड़की क्या कर रही है, लेकिन मैंने अपने लक्ष्य की तरफ तन मन धन से जोर लगा दिया, जिसके बाद आज मैं यहां हूं। किरण बेदी ने कहा कि जिंदगी के अब तक के सफर में मैंने एक दिन, एक पल भी फालतू में जाने नहीं दिया। जितना चाहिए था उतना खाया, जितना पढ़ना था उतनी पढ़ाई की।


किसी भी फील्ड में जाना हो तो इसके लिए विजन, विल पॉवर काफी नहीं होता, इसके साथ भूख भी होनी चाहिए आगे बढ़ने की, क्योंकि जब भूख लगेगी तभी मेहनत होगी। सपना जरूर देखो कुछ बनने का। इसमें कोई बुरी बात नहीं, लेकिन यह सपना टूट जाए तो बुरा है। सपना-सपना बनकर न रह जाए इसके लिए तन-मन-धन सब लगा दो। कामयाबी की भूख को कम न होने दो। मैंने भी ऐसा ही किया था और आज आप सभी के सामने है मेरी कहानी।


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