इंटीग्रेटेड फार्मिंग से लाखों रुपए कमाने के तरीके । Integrated farming


Integrated Farming System

कहा जाता है कि खेती घाटे का सौदा है। इसमें लागत और मेहनत ज्यादा लेकिन मुनाफा कम होता है। लेकिन कुछ किसान इसी खेती से मुनाफा कमा रहे है, वो भी लाखों में। आमदनी दोगुनी करने के लिए कई किसानों ने खेती की वो तकनीकें अपनाई हैं जिससे वो एक साल में लाखों रुपए का मुनाफा कमा रहे हैं। पारंपरिक खेती को छोड़कर मुनाफे वाली खेती करने वाले ऐसे ही एक किसान हैं उत्तर प्रदेश में बरेली जिले के अमन लकारा। अमन इंटीग्रेटेड फॉर्मिग सिस्टम से खेती करते हैं।

इंटीग्रेटेड फॉर्मिंग मतलब खेती के साथ पशुपालन समेत कई ऐसे काम जो न सिर्फ खेती में सहायक होंगे बल्कि आमदनी को कई गुना बढ़ा देंगे। जैसे अपनी जमीन पर खेती के साथ डेयरी चलाते हैं, मुर्गी-बतख और पिग पालते हैं।


हर यूनिट से लाखों रुपए कमाते है आम किसान

अमन लाकरा के पास 55 बीघा ज़मीन है। इसमें उन्होंने अलग-अलग यूनिट बनाई हुई है। हर यूनिट से अमन लाखों कमा रहे है। अमन बताते हैं, “शुरू में सबसे तालाब बनवाया, जिसमें हम रोहू, कतला, मृगल, कॉमन क्रॉप के साथ कई मछलियों को पाला हुआ है। मुर्गी और बत्तख का जो वेस्ट होता है वो इन मछलियों का आहार है। इन यूनिट से सलाना 40 कुंतल उत्पादन होता है जिससे चार लाख रूपए तक की कमाई होती है।” इंटिग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम प्रणाली से कोई भी किसान सालभर मुनाफा कमा सकता है। इस प्रणाली में एक घटक से बचे हुए उत्पादों और अवशेषों को दूसरे घटक के लिए उपयोग में लाया जा सकता है। अगर आप मुर्गीपालन करते है तो पोल्ट्री की बीट को मछलियों को खिला सकते है। इससे मछली की अधिक मात्रा में तादात होगी, जिससे मुनाफा होगा और दूसरा उस तालाब के पानी को सिंचाई के लिए प्रयोग में लाया जा सकेगा। अगर इसके साथ पशुपालन भी किया जाए गाय-भैँस के दूध को बेचकर अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। अपनी यूनिट के बारे में अमन लाकरा बताते हैं, “मछली के साथ मेरे पास 125 मुर्गियां हैं जिनसे प्रतिदिन 80 से 90 अंडे मिल जाते है। इन अंड़ो को बाजार में लगभग 6 रूपए में बेच देते है। इस इकाई से सालभर में एक लाख रूपए की कमाई होती हैं जबकि आहार टीकाकरण मिलकर सालाना की लागत 15 रूपए आती है।


इस प्रणाली को अपनाकर छोटे एवं सीमांत किसान अधिक उपज वाली फसलों के साथ ही मशरूम, फल, सब्जियां, अंडे, दूध, मांस और शहद जैसे लाभदायक उत्पाद भी पैदा कर सकते हैं। इसके अलावा वे जैव-ईंधन भी पैदा कर अपनी आय बढ़ा सकते हैं।

अमन ने इन सबकी देखभाल के लिए चार मजदूरों को लगा रखा है। इसके साथ वो खुद इन सभी को आहार देने और अन्य काम करते है। अमन की यूनिट में मछली और मुर्गियों के साथ डेयरी, बत्तख और बकरियों की भी यूनिट बनी हुई है।

डेयरी यूनिट में तीन दुधारू भैंसे हैं, जिनसे लगभग 25 लीटर दूध का उत्पादन होता है। दूध को शहर के विभिन्न इलाकों में 50 रूपए लीटर के हिसाब से बेचते है।” अमन ने बताया, “अभी हमारे पास 60 बत्तख है, इनके अंडे और मांस से सलाना 60 हजार रूपए की कमाई होती है। इनको पालने का मुख्य उददेश्य जो मछली तालाब ऑक्सीजन को बनाए रखना है।”

इसके अलावा अमन के बकरी यूनिट में आठ बकरी पली हुई है, जिसमें छह बकरियां मादा और दो नर बकरी है। इनके आहार के लिए अमन ने अंजीर जामुन, गुलर पेड़ लगा रखे है।

इंटेग्रेटेड फार्मिंग

इस प्रकार ये सभी घटक आपस में जुड़ कर किसान की आमदनी को कई गुना बढ़ते हैं और खेती में होने वाले एक घटक के नुकसान से दूसरे अन्य घटकों से भरपाई आसानी से हो जाती है.



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